https://youtu.be/Z71SOf-veoU?si=cybk3kZoRO4s3M2P

तो दोस्तों एक रेलवे स्टेशन जहां दिनभर भीड़भाड़ रहती है वहीं रात के समय वीरान और खौफनाक लगने लगता है। अंधेरे में खाली प्लेटफार्म धीमी रोशनी में चमकती पटरी और दूर से आती ट्रेन की आवाज एक अजीब सा माहौल बना देती है। यह कहानी बेगमपुर रेलवे स्टेशन की है। यह स्टेशन दिन में आम रेलवे स्टेशनों की तरह ही व्यस्त रहता है। हर घंटे ट्रेनें आती जाती रहती हैं। यात्री प्लेटफार्म पर दौड़ते रहते हैं और अनाउंसमेंट की आवाज चारों ओर गूंजती रहती है। लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है और रात का अंधेरा गिरता है, यह स्टेशन किसी और ही दुनिया का हिस्सा लगने लगता है। रात में यहां कोई भी ट्रेन रुकती नहीं। सभी ट्रेनें तेजी से इस स्टेशन को पार कर जाती हैं। मानो कुछ ऐसा हो जिसे छूने से वे भी डरती हो। प्लेटफार्म नंबर तीन की ओर तो कोई देखता भी नहीं क्योंकि यहां के लोग कहते हैं कि वहां कोई और भी मौजूद है। कोई ऐसा जो अब भी अपनी आखिरी ट्रेन पकड़ने की कोशिश कर रहा है। करीब 5 साल पहले इसी स्टेशन पर एक दर्दनाक हादसा हुआ था। इस घटना के बाद से ही कुछ अजीब चीजें होने लगी। यह कहानी एक ऐसे रेलवे स्टेशन की है जहां देर रात रुकने की हिम्मत कोई नहीं करता। अब आप इस कहानी को एक अफवाह मान सकते हैं या सिर्फ एक पुरानी दंतकथा। लेकिन यह कहानी उन घटनाओं पर आधारित है जो एक रेलवे कर्मचारी अजय ने खुद अनुभव की थी। अगर आप इस स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन पर रात के समय अकेले खड़े हो तो शायद आप भी वही महसूस करें जो अजय ने किया था। अजय एक रेलवे कर्मचारी जिसने पिछले 12 सालों से भारतीय रेलवे में काम किया था। कुछ महीने पहले ही उसकी ट्रांसफर बेगमपुर रेलवे स्टेशन पर हुई थी। उसे रेलवे ट्रैफिक कंट्रोलर के रूप में तैनात किया गया था और उसकी ड्यूटी थी कि वह रात की आखिरी ट्रेन के गुजरने के बाद स्टेशन ऑफिस को बंद करे। वो अपने काम में इतना माहिर हो चुका था कि अब उसे रात में अकेले रहने की आदत पड़ गई थी। लेकिन कुछ चीजें ऐसी थी जो उसे अब भी असहज कर देती थी। स्टेशन शहर से थोड़ा दूर था। इसलिए रात 11:00 बजे के बाद यहां बहुत कम ही लोग दिखाई देते थे। लेकिन कुछ कर्मचारियों और लोगों में यह चर्चा थी कि आधी रात के बाद प्लेटफार्म नंबर तीन पर अजीब चीजें होती हैं। कुछ कहते थे कि वहां किसी की परछाई दिखती है। तो कुछ को ऐसा लगता था कि वहां से किसी के चलने की आवाजें आती हैं। एक दिन अजय ने अपने एक साथी रमेश से पूछा यह प्लेटफार्म नंबर तीन वाली बातें सच है या लोग बस मजे ले रहे हैं? रमेश ने हल्की हंसी के साथ जवाब दिया। भाई मैंने खुद कुछ नहीं देखा लेकिन बहुत से लोगों ने अजीब चीजें महसूस की है। पहले एक गार्ड था। उसने दावा किया था कि उसे प्लेटफार्म नंबर तीन पर एक आदमी बैठा दिखा। लेकिन जब पास गया तो कोई नहीं था और यह सिर्फ एक ही बार नहीं हुआ। कई लोग कह चुके हैं कि यहां कुछ गड़बड़ है। अजय ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसे भूत प्रेत की कहानियों पर विश्वास नहीं था। वो मानता था कि रात के अंधेरे और दिमाग की थकान के कारण लोग भ्रम का शिकार हो जाते हैं। लेकिन दोस्तों उसे क्या पता था कि जल्द ही उसे खुद इस रहस्य का सामना करना पड़ेगा। कुछ साल पहले रवि एक सरकारी कर्मचारी था जो रोजाना रात 8:30 बजे की ट्रेन से सफर करता था। लेकिन उस दिन वह ऑफिस में ज्यादा काम की वजह से लेट हो गया था। उसकी पत्नी ने फोन पर बताया था कि घर पर मेहमान आए हुए हैं। वह जल्द से जल्द पहुंचना चाहता था। भागते-भागते जब वो स्टेशन पहुंचा तब तक ट्रेन धीरे-धीरे शुरू हो गई थी। जल्दबाजी में उसने दौड़ कर ट्रेन पकड़ने की कोशिश की। लेकिन प्लेटफार्म गीला था। जिससे उसका पैर फिसल गया। और वो सीधे पटरी पर गिर गया। संतुलन बिगड़ने के कारण वो फिसल गया। और पटरी पर गिरते ही ट्रेन के नीचे आ गया। यह हादसा रात के 10:30 बजे हुआ था। और उस समय प्लेटफार्म पर मौजूद एक बुजुर्ग चाय वाले ने इसे अपनी आंखों से देखा था। चाय वाले के मुताबिक ट्रेन के गार्ड और कुछ यात्री मदद के लिए दौड़े। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस घटना के बाद स्टेशन पर यह अफवाहएं फैलने लगी कि रवि की आत्मा अभी भी प्लेटफार्म नंबर तीन पर भटकती है। कई यात्रियों ने बताया कि उन्होंने देर रात यहां किसी आदमी को बैठे देखा लेकिन जैसे ही पास गए वो गायब हो गया। कुछ ने यह भी कहा कि ट्रेन के गुजरने के बाद पटरी पर सफेद कपड़ों में एक परछाई खड़ी दिखाई देती थी। उसके बाद से हर रात प्लेटफार्म नंबर तीन पर कुछ अजीब घटनाएं होने लगी। लेकिन अजय इन बातों पर विश्वास नहीं करता था। उसके लिए यह सब बस अफवाहएं थी। एक रात अजय की ड्यूटी अकेली थी। आमतौर पर स्टेशन पर दो कर्मचारी मौजूद रहते थे। लेकिन उस दिन उसके साथी रमेश ने किसी फैमिली फंक्शन के लिए छुट्टी ली थी। इसलिए पूरी जिम्मेदारी अजय पर थी कि वो आखिरी ट्रेन गुजरने के बाद स्टेशन ऑफिस को ताला लगाएं और सिग्नल कंट्रोल की रिपोर्ट अपडेट करें। रात के पौ:45 हो चुके थे और आखिरी ट्रेन प्लेटफार्म नंबर एक से गुजरने वाली थी। अजय ने अपनी घड़ी देखी और फिर सिग्नल पैनल की तरफ देखा। ट्रेन के गुजरने से पहले उसे ट्रैक क्लियर करना था। कुछ ही मिनटों बाद इंजन की रोशनी दूर से चमकने लगी और ट्रेन की सीटी की आवाज गूंज उठी। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पार कर गई। अजय ने राहत की सांस ली। अब बस कुछ कागजी काम निपटाने थे और फिर वो स्टेशन की लाइटें बंद करके घर जा सकता था। उसने अपनी सीट पर बैठकर रजिस्टर खोला और ट्रेन की रिपोर्ट भरने लगा। लेकिन तभी उसे प्लेटफार्म नंबर तीन से किसी के बोलने की आवाज सुनाई देने लगी। पहले तो उसे लगा कि शायद यह हवा का असर है। लेकिन कुछ ही सेकंड में आवाज और स्पष्ट हो गई जैसे कोई किसी से बातें कर रहा हो। उसने सीसीटीवी स्क्रीन पर नजर डाली लेकिन वहां कुछ नहीं था। स्टेशन पूरी तरह सुनसान थी। फिर भी उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसे देख रहा हो। शायद मेरा दिमाग खेल रहा है। उसने खुद से कहा और अपने रिपोर्ट में ध्यान देने लगा। लेकिन जैसे ही उसने स्टेशन की लाइट्स बंद करनी शुरू की। प्लेटफार्म नंबर तीन पर एक परछाई दिखी। वो एक आदमी की आकृति थी जो बिल्कुल स्थिर खड़ा था। अजय ने टॉर्च उठाई और बाहर जाने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही उसने प्लेटफार्म की तरफ कदम बढ़ाया, हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकराई। इतनी ठंड कहां से आ गई? उसने सोचा जैसे ही वो प्लेटफार्म पर पहुंचा। वहां कोई नहीं था। लेकिन उसे ऐसा लगा जैसे अभी-अभी कोई वहां खड़ा था। कि तभी अचानक उसे पीछे से किसी के चलने की आवाज आई। उसने तुरंत पलट कर देखा लेकिन वहां कुछ भी नहीं था। अब उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था। इस पल को उसने अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन स्टेशन पूरी तरह खाली था। यह सब मेरे दिमाग का भ्रम है। हां, अजय ने खुद को समझाने की कोशिश की। लेकिन अंदर ही अंदर वो अब डर महसूस करने लगा था। वो तेजी से वापस स्टेशन मास्टर के केविन की ओर भागा और दरवाजा बंद कर लिया। अंदर आते ही उसने गाड़ी देखी। रात के ठीक 1:00 बज चुके थे। उसने कुछ देर तक गहरी सांस ली और अपने काम में वापस जुटने की कोशिश की। लेकिन उसे यह एहसास होने लगा था कि जो भी हो रहा था वो सिर्फ उसका भ्रम नहीं था। कुछ तो था जो स्टेशन पर मौजूद था। इस रात की घटना के बाद अजय काफी परेशान रहने लगा। उसे यकीन हो गया था कि जो कुछ भी उसने देखा और महसूस किया वो सिर्फ उसकी कल्पना नहीं थी। उस रात के बाद से वो ठीक से सो नहीं पाया। जब भी वो आंखें बंद करता उसे प्लेटफार्म नंबर तीन पर खड़ा वो साया याद आता। अगली शाम ड्यूटी के दौरान अजय ने अपने साथी रमेश से इस घटना का जिक्र किया। रमेश कल रात कुछ अजीब हुआ था। प्लेटफार्म नंबर तीन पर कोई खड़ा था लेकिन जब मैं पास गया तो वो गायब हो गया। मैंने किसी की आवाज भी सुनी। रमेश ने हंसते हुए कहा। अजय रात की शिफ्ट में अकेले होते तेरा दिमाग खराब हो गया है। नहीं यार मैं मजाक नहीं कर रहा। कुछ तो है वहां। तू ही तो यहां काफी वक्त से काम कर रहा है ना। क्या तुझे कभी कुछ अजीब नहीं लगा? रमेश थोड़ी देर तक चुप रहा। फिर बोला सच कहूं तो मैंने कभी खुद कुछ ऐसा महसूस नहीं किया लेकिन कई लोगों से सुना है कि प्लेटफार्म नंबर तीन पर रात में मत जाना। मैंने इसे अफवाह समझकर कभी ध्यान नहीं दिया। रमेश की बातें सुनकर अजय संतुष्ट नहीं था। उसने स्टेशन के आसपास के कुछ पुराने दुकानदारों से भी बात की। स्टेशन के बाहर चाय की दुकान चलाने वाले बुजुर्ग रामलाल ने कहा बेटा मैंने खुद उस रात रवि को ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते हुए देखा था। और फिर उसकी दर्दनाक मौत। उसके बाद से कई लोगों ने उसे रात के वक्त स्टेशन पर देखा है। कुछ कहते हैं कि वो अब भी आखिरी ट्रेन पकड़ने की कोशिश कर रहा है। अब अजय को पूरा यकीन हो गया कि यह कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं थी। अजय डर से बीमार पड़ने लगा और एक दिन ड्यूटी पर नहीं आया। रमेश उस रात नाइट शिफ्ट में अकेला था। उस रात करीब 1:00 बजे रमेश ड्यूटी कर रहा था। जब उसे प्लेटफार्म नंबर तीन से अजीब आवाजें सुनाई दी। पहले उसने इसे नजरअंदाज किया। लेकिन जब आवाजें तेज होने लगी तो उसने हिम्मत जुटाकर वहां जाकर देखने का फैसला किया। जैसे ही वह प्लेटफार्म पर पहुंचा उसे ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। फिर उसे दूर एक बेंच पर कोई बैठा दिखा। कौन है वहां? स्टेशन बंद हो चुका है। रमेश ने जोर से कहा लेकिन वो व्यक्ति नहीं हिला। रमेश ने टॉर्च जलाकर उस पर रोशनी डाली और वो आकृति अचानक गायब हो गई। रमेश डर के मारे भागा और ऑफिस बंद करके घर चला गया। अगली सुबह वो अजय के घर गया। अजय मैंने मैंने उसे देखा तो सही कह रहा था। अब दोनों को एहसास हुआ कि जो कुछ हो रहा था वो सच था। लेकिन स्टेशन मास्टर और अन्य अधिकारी उनकी बातों को मजाक समझते थे। धीरे-धीरे अजय और रमेश की हालत बिगड़ने लगी। हर रात ड्यूटी पर जाना मुश्किल हो रहा था। उन्हें लगातार ऐसा लगता था कि कोई उनकी हर हरकत देख रहा है। कभी-कभी तो टेलीफोन अपने आप बज उठता। लेकिन जब वे रिसीवर उठाते तो दूसरी तरफ सिर्फ भारी सांसों की आवाज सुनाई देती। उनका मानसिक तनाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने स्टेशन मास्टर से नाइट शिफ्ट बदलने की गुजारिश की। लेकिन किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। अजय अब पूरी तरह परेशान हो चुका था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह आत्मा उसे और रमेश को ही क्यों परेशान कर रही थी। अब सवाल था क्या अब इस डर को सहकर यहां काम करते रहेंगे या फिर किसी तरह इससे छुटकारा पा सके। उसने तय किया कि अब वो इसका हल निकालेगा। अगले ही दिन अजय ने कुछ स्थानीय लोगों और अपने पुराने सहकर्मियों से बात की। लोगों ने उसे समझाया कि जब आत्माएं किसी जगह पर बंधी होती है तो वे कभी-कभी वहां रहने वाले लोगों से संपर्क करने की कोशिश करती है। लेकिन अजय को यकीन नहीं हुआ। आखिरकार उसने परवेज अंसारी नाम के एक पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर से संपर्क किया। अजय को उसके बारे में स्टेशन के पास वाले एक पुराने दुकानदार से पता चला था। उसने बताया था कि अगर कोई इस रहस्य को सुलझा सकता है तो वो परवेज ही है जो पहले भी कई रहस्यमई घटनाओं की जांच कर चुका था। परवेज ने स्टेशन पर आकर कुछ जांच पड़ताल की और वहां कुछ अजीब चीजें महसूस की।  यह आत्मा अशांत लग रही है। लगता है कि इसे इस दुनिया से जाने नहीं दिया गया। उसने कहा अजय ने उसे रवि के बारे में बताया। कैसे वो आखिरी ट्रेन पकड़ने की कोशिश में मारा गया था। यह आत्मा इसलिए यहां अटकी हुई है क्योंकि इसे अपने जाने का एहसास ही नहीं हुआ। हो सकता है इसे अभी भी लगे कि वो ट्रेन पकड़ सकता है। इसे मुक्ति देने के लिए हमें इसकी आखिरी इच्छा को पूरा करने का कोई तरीका ढूंढना होगा। परवेज ने समझाया। परवेज ने कुछ दिनों तक स्टेशन पर रहकर डिटेल में जांच की। उसने वहां कई बार ईवीपी इलेक्ट्रॉनिक वॉइस फिनोमिना रिकॉर्ड करने की कोशिश की और कुछ विचित्र आवाजें कैद भी हुई। लेकिन जो सबसे चौंकाने वाली बात थी वो यह कि आत्मा केवल उन्हीं लोगों को परेशान कर रही थी जो भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करते थे। यह आत्मा उन लोगों को निशाना बनाती है जो इसे झूठ समझते हैं। जैसे ही कोई इसे नकारता है यह उन्हें एहसास कराने की कोशिश करती है कि वो वास्तव में यहां है। परवेज ने अजय और रमेश को समझाया। अजय को अब समझ में आया कि क्यों उसे और रमेश को ही यह सब अनुभव हुआ था। वे दोनों ही शुरुआत में इन चीजों पर विश्वास नहीं करते थे और हर घटना को दिमाग का भ्रम मानकर टालते रहते थे। लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने इसे नकारा, आत्मा ने खुद को और ज्यादा प्रकट करना शुरू कर दिया। उसने उन्हें बताया, शायद अगर एक बार फिर ट्रेन रवि के लिए रुकती और वो उसमें चढ़कर अपनी यात्रा पूरी करता तो उसकी आत्मा को चैन मिल सकता है। परवेज की सलाह मानते हुए अजय और रमेश ने रेलवे के कुछ अधिकारियों और स्थानीय कर्मचारियों की मदद से एक योजना बनाई। वही समय चुना गया जब रवि की मौत हुई थी। अजय ने प्लेटफार्म नंबर तीन को तैयार किया और एक इंजन को वहां से गुजरने की व्यवस्था की। बिल्कुल वैसे ही जैसे रवि उस रात ट्रेन पकड़ना चाहता था। रमेश ने प्लेटफार्म पर धीरे से रवि का नाम लिया। रवि तुम्हारी ट्रेन आ गई है। अब तुम जा सकते हो। जैसे ही इंजन की रोशनी प्लेटफार्म पर पड़ी, अजय और रमेश को एक परछाई सीढ़ियों से उतरती दिखी। सफेद कपड़ों में धीरे-धीरे ट्रेन की तरफ बढ़ती हुई। परवेज ने प्रार्थना शुरू की और सभी ने सिर झुका लिए। परछाई ने ट्रेन के पास पहुंचकर एक पल के लिए रुक कर पीछे देखा। जैसे किसी को धन्यवाद कह रही हो। और फिर वो ट्रेन के भीतर समा गई। ट्रेन की सीटी बजी और वो आगे बढ़ गई। उसके बाद से प्लेटफार्म नंबर तीन पर ना कोई परछाई दिखी ना कोई आवाज ना कोई ठंडी हवा। स्टेशन का माहौल बदल गया था। वहां अब सन्नाटा नहीं बल्कि एक अजीब सी शांति थी। अजय और रमेश ने भी राहत की सांस ली। वे जानते थे कि अब रवि अपनी मंजिल तक पहुंच चुका है। हर जगह की अपनी एक कहानी होती है। लेकिन कुछ कहानियां कभी खत्म नहीं होती। अगर आप किसी भी रहस्यमई जगह पर हो और आपको कुछ असामान्य महसूस हो तो उसे नजरअंदाज मत करें। हो सकता है कोई आपको कुछ बताने की कोशिश कर रहा हो। यह कहानी आपको अच्छी लगी हो तो हमें सब्सक्राइब करें। हमारा Instagram और Facebook पेज जरूर फॉलो करें।  और हां दोस्तों, सब्सक्राइब करना भूलना मत।

2) https://youtu.be/HQ8FourNOu4?si=9QIrRENHJ8k5w42T

लड्डू खाओगे? नहीं ना? समझदार हो गए हैं सब। लेकिन इस दुनिया में ऐसे और भी कई शैतान हैं। ऐसे कई दैत्व हैं जिनसे हमें बच के रहना चाहिए। आज मैं काजोल और आपका फेवरेट हॉरर स्टोरी टेलर दिव्य ए होनी मंडे। आपके लिए एक ऐसे ही द्वैतों की कहानी लेकर आए हैं। जिसे चुनौती दी है एक मां ने। तो इस बात पर जल्दी से इस वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करो फॉर खूनी मंडे। और हां मेरी नई फिल्म मां देखिए 27 जून से तो इस मां को भी थिएटर्स में जाकर अपना साथ देना ताकि मिलकर हम इस द्वैतों को हरा पाएं। मां देर रात हो रही थी। मध्य प्रदेश और तेलंगाना के बीच के हाईवे पर एक सुनसान जंगल वाली सड़क से एक पुरानी कार गुजर रही थी। 35 साल की मानवी गाड़ी चला रही थी और पीछे की सीट पर उसका 5 साल का बेटा आरुष सो रहा था और उसकी 10 साल की बेटी रिया खामोशी से खिड़की के बाहर अंधेरा ताक रही थी। मानवी के हस्बैंड की कुछ साल पहले ही मौत हो गई थी और वो अपने बच्चों के साथ मध्य प्रदेश से तेलंगाना के अपने होमटाउन जा रही थी क्योंकि वो अब अपने छोटे से घर में एक शांत जिंदगी बिताना चाहती थी। उस जंगल वाली सड़क में एक अजीब सी ठंडक थी और उससे भी अजीब सन्नाटा। दूर-दूर तक कोई भी कार नहीं थी। थोड़ी देर बाद मानवी के सर में तेज दर्द उठा। उसने पहले सोचा कि थकान है लेकिन दर्द धीरे-धीरे बढ़ता गया। तभी रिया ने अपनी पीठ पकड़ी और वो जोर से चिल्लाने लगी। इतने में आरुष भी उठकर रोने लगा और कहने लगा कि कोई उसका पैर पकड़ रहा है। मानवी ने जोर से कार की ब्रेक्स लगाई। कार झटके से रुकी। हर तरफ अंधेरा था। मानवी ने पलट कर देखा तो उसके बच्चों के पैर और शरीर किसी चीज से जकड़े हुए थे। जैसे पेड़ की टहनियों ने उसके बच्चों को कैद कर रखा हो। मानवी को कुछ समझ नहीं आ रहा था और इससे पहले कि वो कुछ कर पाती उसकी कार के शीशे टूट गए थे और वो टहनियां उसके बच्चों को जकड़ कर जंगल के अंदर ले गई। मानवी जल्दी से दरवाजा खोलकर अपने बच्चों की जान बचाने के लिए जंगल की ओर दौड़ी। हवा में एक अजीब सी बदबू थी। जैसे हर जगह सड़ा हुआ मांस हो। सभी पेड़ जोर से हिलने लगे। जैसे कोई तूफान आने वाला हो। जंगल के अंदर से एक अलग ही डरावनी आवाज आ रही थी। जैसे कोई बहुत भयानक राक्षस उसके अंदर से गुर्रा रहा हो। मानवी जंगल के अंदर घुसती जा रही थी और अपने बच्चों को पुकारती जा रही थी। लेकिन उसे वो कहीं नहीं दिख रहे थे। अचानक एक पेड़ की टहनी सीधा आकर उसके सर पर लगी और वो बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी। जब उसकी आंख खुली तो एक बूढ़ी सी औरत उसके पास खड़ी थी। उसके हाथ में एक मशाल थी। मानवी बहुत बुरी तरह से जख्मी थी। उस औरत ने मानवी से कहा कि यह जंगल मायावी है और अगर वह अपनी जान की सलामती चाहती है तो उसे वहां से चले जाना चाहिए। उस बूढ़ी औरत ने मानवी को बताया कि उस जंगल में प्राणक नाम का एक राक्षस रहता है। वो एक भयानक खूंखार दैत्य है जो भूत माता काली का बेटा है। भूत माता काली देवी पार्वती का एक प्रचंड रूप है। जिन्होंने सब जीव जंतु भूत प्रेतों को जन्म दिया था। पर उनका बेटा प्राणक बहुत ज्यादा दुष्ट था। जिस वजह से भूत माता ने उसे कभी अपना प्यार नहीं दिया लेकिन वो फिर भी नहीं रुका और तब भूत माता ने उसे इस जंगल में ही हमेशा हमेशा के लिए बंद रहने का श्राप दे दिया और भानक जंगल के एक बड़े से पेड़ में ही कैद हो गया। भ्राणक ने तब से हर मां से बदला लेने की कसम खा ली। वो हर बच्चे से नफरत करता था। जिससे उसकी मां को प्यार मिला हो। उसने आसपास के हर गांव के बच्चे को खाना शुरू कर दिया और इसलिए उस जगह के आसपास कोई बसावट ही नहीं थी। यह सब सुनकर मानवी का दिल बैठ गया और वो फूट-फूट कर रोने लगी। उस बूढ़ी औरत ने मानवी को कहा कि अब तक व्राणक उसके बच्चे निगल चुका होगा। पर इसलिए उसे अपनी सलामती के लिए वहां से चले जाना चाहिए। लेकिन मानवी ने उससे कहा कि वो एक मां है और वो अपने बच्चों को ऐसे छोड़कर हरगिज़ नहीं जाएगी। चाहे उसकी जान ही क्यों ना चली जाए। इस पर उस बूढ़ी औरत ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि भूत माता काली तुम्हारी रक्षा करें। और इसके तुरंत बाद जब मानवी ने बूढ़ी औरत की तरफ देखा तो वो वहां पर थी ही नहीं बल्कि वो दूर-दूर तक कहीं दिखाई दे ही नहीं रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वो हवा में कहीं गायब हो गई हो। बस जमीन पर उसकी मशाल पड़ी थी। मानवी ने वो मशाल उठाई और आगे बढ़ी। जंगल अब और गहरा और भयानक लग रहा था। हर पेड़ में जैसे शैतानी आंखें थी जो उसे देखे जा रही थी। भ्राणक की गुर्राने की आवाज भी बढ़ती जा रही थी। धीरे-धीरे जंगल की जमीन से जड़े बाहर निकल कर आने लगी। मानवी ने मशाल की मदद से कुछ जड़े जलाई और आगे बढ़ने लगी। थोड़े आगे जाने पर उसे एक बहुत बड़ा और पुराना पेड़ दिखा। उसकी टहनियां एक दूसरे में घुसी हुई थी और एक मोटा गुच्छा हवा में लटक रहा था। उस गुच्छे से हल्की-हल्की चिल्लाने की आवाज आ रही थी। तब मानवी ने देखा कि उस पेड़ की टहनियों से लिपटे आरुष और रिया दर्द में छटपटा रहे हैं। आसपास एकदम जैसे हवा बंद हो गई और पेड़ों की टहनियां इतनी ज्यादा गहरी हो गई कि चांद की रोशनी का एक कतरा भी वहां नहीं आ रहा था। तब सिर्फ एक लाल आंखों का जोड़ा अंधेरे में चमक रहा था। मानवी को समझ आ गया कि उसके सामने राणक है। वहीं दैत्य जिसके बारे में उस बूढ़ी औरत ने उसे बताया था। उसका रूप इंसानों से परे था। उसका शरीर पेड़ की लकड़ी से बना हुआ था और उसके मुंह से लाल-ार टपक रही थी। वो मानवी के सामने ही उसके बच्चों को खाने वाला था। मानवी आगे बढ़ी। लेकिन राणक ने पेड़ की टहनियों से उसे भी जकड़ लिया और हवा में उठा लिया। उसके हाथ से वो मशाल छूट गई। जकड़ और टाइट होने लगी और मानवी अपना दम खोने लगी। उसकी बंद होती आंखें सिर्फ अपने बच्चों को देख रही थी जिसे राणक हंसता हुआ बस निगलने ही वाला था। तभी उसे राणक के पीछे वो बूढ़ी औरत वापस दिखी। आसमान में जोर की एक बिजली कट गई और वो औरत एकदम से एक भयानक देवी में बदल गई। राणक उस देवी को देखकर बहुत ज्यादा गुस्से में आ गया और उस जंगल में एक जोर का तूफान शुरू हो गया। एक-एक करके पेड़ गिरने लगे। मानवी की आंखें बंद होने वाली थी। उसने रोते हुए एक आखिरी बार अपने बच्चों का नाम पुकारा और उसकी आंखें बंद हो गई। उसकी चीख एक मां की चीख थी। लेकिन उसके ठीक बाद मानवी की आंखें फिर से खुली। इस बार उसकी आंखें लाल थी और मानवी में एक अजीब सी ताकत आ गई थी जैसे स्वयं देवी उसके अंदर आ गई हो। उसने एक और गुहार लगाई और पेड़ की सारी टहनियां टूट गई और वो आजाद हो गई। उसने नीचे पड़ी मशाल को उठाया और राणक जिस पेड़ से बंधा था उस पेड़ की जड़ों में आग लगा दी। प्राणक ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। अचानक वो टहनियों का गुच्छा खुल पड़ा और आरुष और रिया जमीन पर नीचे गिर पड़े। देखते ही देखते राणक की दर्द में चीखें सुनाई देने लगी। और कुछ ही देर वो पेड़ जल के राख हो गया। साथ ही राणक का अंत हो गया। मानवी को अचानक से चक्कर आए और वो नीचे गिर पड़ी। उसके सामने भूत माता काली देवी प्रकट हुई और मानवी के सर पर अपना हाथ रख के उगते सूरज की रोशनी में समा गई। मानवी और उसके बच्चों के शरीर पर लगी चोटें कुछ ही पलों में अपने आप गायब हो गई। उसके बच्चे होश में आए तो उन्हें कुछ भी याद नहीं था। मानवी ने अपने बच्चों को उठाया और जंगल से बाहर निकल गई। अब पूरी तरह से सुबह हो गई थी। पेड़ चुप थे और जमीन ठंडी हो गई थी। उस रात एक मां ने अपने बच्चों को मौत के मुंह से निकाला था और इस दुनिया को एक बार फिर बताया था कि इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली कोई है तो वो एक मां है। खूनी मांडे की यह कहानी अगर आपको अच्छी लगी तो मेरी मूवी मां भी आपको बहुत अच्छी लगेगी। जाकर थिएटर्स में जरूर देखना। जल्दी से इस वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करो फॉर खूनी मांडी। [संगीत] [संगीत] ला

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